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History of baghel samaj

सभी धनगर,  गडरिया  भाइयो को सूचित किया जाता है कि सभी भाई अपनी कौम की खातिर अपना योगदान करे | ये बात सत्य है की धनगर समाज भारत की प्राचीन जातियों में से एक है | हमारे समाज ने पूरे विश्व को अपना अनोखा योगदान दिया है | जैसे “मेष“ राशी , “मेष” राशी सभी राशियों में पहली व सर्वोतम राशी है | आसमान में मोजूद नक्षत्रमंडल में “aries” या “मेष “ अपने आप में धनगर समाज के पुराने गौरव को दर्शाता है जिसकी खोज या उसका नामकरण किसी “गड़ेरिया” या “धनगर“ ने की होगी | “आर्या” जो की या तो भारत से बहार गए थे या बहार से भारत आये थे | परन्तु वे अपने साथ “गढ़” अर्थात “भेड़” “बकरी” रखते थे इसीलिए उन्हें “गढ़” + “आर्य” अर्थात “गडरिया” कहलाये | “देवनागरी” व “संस्कृत” भाषा “गडरिया” लोगो की ही देन है| ये बात भी सत्य है की “वेद” ग्रन्थो की रचना “आर्यों” अर्थात “गढ़ार्यो/गडरिया” ने की थी | वेदों में बहुत सी जगह “मेष” सब्द का प्रयोग हुआ है जो “धनगर/गडरिया” जैसे महान लोगो को दर्शता है | भारत का किसी पुराने ज़माने में नाम “आर्यावत” था | यानी “अर्यो का वतन” उस समय भारत में सिर्फ “गडरिया” अर्थात “धनगर” क...