Baghelo ka etihas
बघेल साम्राज्य
बघेल राजपूत बंश
बघेल" सोलंकी वंश की एक प्रमुख खापें में से है। बघेल वंश के आदि पुरुष महाराजा व्याघ्रदेव थे।
व्याघ्रदेव के पूर्वज पहले व्याघ्रपल्लों
(गुजरात) के सामन्त थे। अनहिलवाड़े
के महाराज जयसिंह के शिलालेख में वर्णित है कि जब अनहिल वाड़े में भीमदेव सोलंकी राज्य करते थे। तो उनके राज्य के व्याघ्रपल्लो के सरदार
लषण प्रसाद तथा उनका पुत्र बीरधवल इतने प्रभावशाली हो गए कि भीमदेव को उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित करना पड़ा। व्याघ्रपल्लो गांव इन्हें चालुक्य राजा कुमारपाल ने जागीर में दिया था। वीर
धवल के वंश में आगे चलकर व्याघ्रदेव का सन् ६१५ में होना प्रमाणित हो चुका है। इन्होंने रीवाँ के आसपास अपना राज्य स्थापित किया
जो बाद में बघेलखंड कहलाया। रीवाँ
के कवि अजमेश जी ने इस वंश को
व्याघ्रदेव की सन्तान माना है और इसके विषय में लिखा है कि उसने गुजरात से सन् ५८० में आकर मोरफा दुर्ग पर विजय प्राप्त किया था।
"गुजरात के बघेल नरेश"
(१)बीसलदेव----(१२४३-­१२६१)
(२)अर्जुनदेव----(१२६­१-१२७४)
(३)रामदेव -----(१२७४)
(४)सारंगदेव-----(१२७­४-१२८०)
(५) कर्णदेव-----(१२८०-१३­००)
इस वंश की रियासतें -रीवाँ (मध्य प्रदेश) सोहावल(उत्तर प्रदेश) थरादू इनके अतिरिक्त मदरथ,पाडु,पेचापुर
भदरवा,नयागढ़,रणपुरा,द­ेवगढ़ आदि इस वंश की छोटी छोटी रियासतें और ठिकाने हैं।इनके अतिरिक्त इस वंश के क्षत्रिय उत्तर प्रदेश,गुजरात,तथा बिहार के कुछ कुछ जगहों पर ठिकाने हैं।
इस वंश की एक शाखा नाहर है। जो बुन्देलखंड में बसती है।
"वाघेला वंश"
गोत्र : भरद्वाज
प्रवर - भरद्वाज,बार्हस्पत्य,­अंगिरस
वंश : अग्नि वंशी
वेद : यजुर्वेद
शाखा -माध्यन्दिनीय
महादेव : कशी विश्वनाथ
गणेश : एक दन्ती
सूत्र - पारस्कर गृह्य सूत्र
कुलदेवी : वाघेश्वरी -अम्बाजी
"रीवाँ राजवंश" (बघेल राज्य)
(१) विक्रमादित्य ---(१६१८-१६३०)
(२) अमरसिंह ----(१६३०-१६४३)
(३)अनूपसिंह-----१६४३­-१६६०)
(४) भावसिंह-----(१६६०-१७­०४)
(५)अनिरूध्दसिंह(१७०४­-१७०९)
(६)अवधूतसिंह--(१७५८-­१८०८)
(७)अजीतसिंह---
(८) जयसिंह ----(१८०८-१८३५)
(९)विश्वनाथसिंह--(१८­३५-१८५४)
(१०)रूध्दराजसिंह(१८४­६-१८८०)
(११)वैंकटरमनसिंह(१८८­०-१९१८)
(१२)गुलाबसिंह----(१९­१८-१९४६)
(१३)मार्तण्डसिंह--१९­४६--------)
(१४)पुष्पराजसिंह--वर­्तमान
इतिहास ---बाधवगढ़ में व्याघ्रदेव सं-१२३३ में आये थे।बघेल वंश के प्रथम राजा थे।दूसरे राजा करनदेव जी थे सं--(१२४५-१२६०)
३२ वें राजा गुलाबसिंह हुए।३३वें राजा मार्तण्डसिंह हुये।३४ वें राजा जो वर्तमान में हैं पुष्पराज सिंह हैं। इस प्रकार बघेल वंश का राज्य चला है।
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# जय क्षात्र धर्म #
# जय श्री राम #
# जय महाराणा प्रताप सिंह जी #
रामचन्द्र सिंह रैकवार पलिया बुजुर्ग
मुझे ठाकुर sujjamal सिंह baghel के बारे में जानकारी chahiyae
ReplyDeleteJai baghel sarkar kshatraiy baghel raaja
ReplyDeleteJay Rajputana
ReplyDeleteराज माता अहिल्याबाई होल्कर की जीवनी
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